पूरी दुनिया में महिलाएं आगे बढ़ रही है और हमारे देश दुष्कर्म के मामले में महिलाएं आगे बढ़ रही है हर दिन एक निर्भया बन रही है । जिस देश में देवी शक्ती की पूजा की जाती है उसी देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर उन्हें जलाया भी जाता है, वो बच्ची जिसे मां बोलना भी नहीं आता उसे अपने हवस का सिकार बनाया जाता है, दुर्घटना के बाद लोग गली मोहल्ले में मोमबत्ती और काले कपड़े पहन कर निकलते हैं और जब मामला ठंडा हो जाता तब कोई नई आंदोलन में निकल जाते है और ऐसी खबरें फिर आती है जो मनन को दहलाती है बहुत सी खबरे छिप भी जाती है, न जाने कितनी निर्भया की मां रात में सोती नहीं होगी, अपनी बेटी के दर्द को सोच कर, जिनकी बेटियां बाहर होती उन्हें नींद भी नहीं आती होगी ऐसी खबरे पढ़ कर । हमारा देश आजाद तो हो गया पर लड़कियां कब आजाद होंगी ?
आखिर क्यों ये इन्सानियत इतनी शरमसार हो रही है ? आखिर क्यों एक लड़की रात में अकेली बाहर जाने से डर रही है? बहुत से सवाल है जिनका उत्तर किसी के भी पास नहीं हैं ।
शायद इसके जिम्मदार हम सब है। हमारे यहां लड़कियों को लड़को से कम माना जाता है लड़के के आने से खुशियां और लड़कियों के होने से सौक मानते है लोग, लड़कियां बस काम करने की मशीन बन जाती है उन्हें अपने लिए आवाज़ उठाने पर ये समाज उनकी आवाज को दबाती है? जिस समाज में लड़कियों की बच्चपन से ही इज्जत नहीं होती, वहा लड़के बच्चपन से ही लड़कियों की इज्जत न करना सीखते है। अगर हम अपने लड़को को लड़कियों की इज्जत करना बचपन से ही सिखाए तो शायद दूसरी निर्भया नहीं आएगी। शायद हमारी लड़कियां की आजाद हो पाएंगी। शायद हालात कुछ बदल जाएगी , शायद लड़कियां आजाद हो पाएगी ।