हिन्दू और मुसलमानों के बीच तनाव काफी समय से देखा जा रहा है। हालाकि हर शहर में ऐसा नहीँ है, कई जगह हिन्दू मुसलमान भाई के तरह भी रहते हैं। पर अगर मैं पूरे देश की बात करूँ तो कई जगह ये एक दूसरे को दुश्मन मानते हैं।
इस तनाव का सबसे बड़ा कारण भारत और पाकिस्तान के बटवारे को माना जाता है। यह सच है कि अंग्रेज़ों ने राज करने के लिए हमारे बीच दरार पैदा किया था। उनकी यही सोंच थी, बाँटो और राज करो। पर उस वक़्त हमें क्या पता था की हम हमेशा के लिए बंट जाएँगे।
धार्मिक हमले
हमारे हिन्दूस्तान में कई बार धर्म के नाम पर हमले हुए हैं। इन हमलों के लिए हम किसी एक को गलत नहीँ ठहरा सकते। दोनों धर्म के लोग इसमें शामिल होते हैं। इन हमलों से कई मासूम लोग और कई छोटे बच्चे मारे जाते हैं। न जाने कितने बच्चे अनाथ हो जाते हैं, कितनों के घर उजड़ जाते हैं, लोग अपना सबकुछ खो देते हैं। पर इन सबसे उन आतन्क फैलाने वाले लोगों को क्या फर्क पड़ता है।
वे बस धर्म के बीच और दरार लाने का काम करते हैं। ऐसे लोगों को हिन्दू या मुसलमान तो कहा जा सकता है, पर क्या इन्हें इंसान का दर्ज देना सम्भव है? क्या इनके अंदर इन्सानियत की कोई भावना होती है?
धार्मिक तनाव
हमें धार्मिक तनाव हर जगह दिखाई देता है। कई लोगों के मन में दूसरे धर्म के लिए घृणा और रोस की भावना दिखाई देती है। लोगों में इतना रोष भर आता है कि वे भूल जाते हैं कि धर्म से पहले इन्सानियत है। बदला लेते लेते इतना तनाव बढ़ने लगता है कि कई बार स्थिती बेकाबू हो जाती है और लोग अपनी जान गवा देते हैं।
हम सबको इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने इन्सानियत को कभी न भूले। चाहे जैसी भी समस्या हो, या कैसा भी क्रोध हो हमें यह कभी नहीँ भूलना चाहिए कि सबसे पहले हमे इन्सानियत का धर्म निभाना है।